शारदा सिन्हा को था मल्टीपल मायलोमा.. धीरे-धीरे आवाज गई फिर बीमारी ने ले ली जान! जानें कितना घातक है ये रोग
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शारदा सिन्हा को था मल्टीपल मायलोमा.. धीरे-धीरे आवाज गई फिर बीमारी ने ले ली जान! जानें कितना घातक है ये रोग

Multiple Myeloma: एक प्रकार का ब्लड कैंसर, जो प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है. प्लाज्मा कोशिकाएं एक तरह की सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती हैं.

शारदा सिन्हा को था मल्टीपल मायलोमा.. धीरे-धीरे आवाज गई फिर बीमारी ने ले ली जान! जानें कितना घातक है ये रोग

Sharda Sinha Death: अपनी सुरीली आवाज से लोगों का दिल जीतने वाली मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा अब नहीं रहीं. लंबी बीमारी के बाद दिल्ली एम्स में उनका निधन हो गया है. वह जिस बीमारी से पीड़ित थीं.. अब उनके निधन के बाद एक बार फिर मल्टीपल मायलोमा, यानी एक प्रकार का ब्लड कैंसर चर्चा में है. असल में शारदा सिन्हा पिछले छह साल से इस गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं. हालांकि, उनकी तबीयत लंबे समय तक स्थिर बनी रही, लेकिन कुछ दिनों पहले अचानक उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें 26 अक्टूबर को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया. आइए जानें इस बीमारी के बारे में, इसका इलाज कितना संभव और प्रभावी है.

क्या है मल्टीपल मायलोमा?

मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का ब्लड कैंसर है जो प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है. प्लाज्मा कोशिकाएं एक तरह की सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती हैं. लेकिन जब ये कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो वो कैंसर का रूप ले लेती हैं. इस कारण शरीर में असामान्य प्रोटीन बनने लगता है, जो कि रक्त, हड्डियों और अन्य अंगों को प्रभावित करता है.

मल्टीपल मायलोमा के लक्षण

इस बीमारी के कई लक्षण हो सकते हैं, जो धीरे-धीरे उभरते हैं. इसमें हड्डियों में दर्द, कमजोरी, थकान, बुखार, और किडनी से जुड़ी समस्याएं प्रमुख लक्षण हैं. इसके अलावा, शरीर में कैल्शियम का स्तर असामान्य रूप से बढ़ सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और टूटने का खतरा रहता है. किडनी में भी नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि असामान्य प्रोटीन रक्त को शुद्ध करने में समस्या उत्पन्न करता है.

इलाज कितना कारगर है?

मल्टीपल मायलोमा का इलाज संभव है, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक होने की गारंटी नहीं देता. इस बीमारी के इलाज में आमतौर पर कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट का सहारा लिया जाता है. इन उपचारों के माध्यम से कोशिकाओं के असामान्य बढ़ाव को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है. हालांकि, इस प्रक्रिया में रोगी के इम्यून सिस्टम पर असर पड़ सकता है, इसलिए सावधानी बरतनी होती है.

शारदा सिन्हा का इलाज और अस्पताल में भर्ती

शारदा सिन्हा को इस बीमारी के कारण लंबे समय से उपचार मिल रहा था. जब उनकी हालत बिगड़ गई, तो उन्हें एम्स के कैंसर सेंटर के मेडिकल ऑन्कोलॉजी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों में मरीज को विशेष देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि यह बीमारी शरीर के कई हिस्सों को कमजोर कर देती है.

क्या मल्टीपल मायलोमा का इलाज संभव है?

आजकल की एडवांस मेडिकल सुविधाओं के चलते इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन बीमारी का चरण और रोगी की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है कि इलाज कितना प्रभावी होगा. कई मरीजों में शुरुआती चरण में ही बीमारी का पता चल जाए तो इलाज के अच्छे परिणाम मिलते हैं, जबकि बाद के चरणों में रोग को नियंत्रित करना मुश्किल होता है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित मरीज जीवनशैली में बदलाव कर और नियमित चिकित्सीय देखभाल से अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं. पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना, तनाव कम करना, और नियमित व्यायाम से शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है.

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